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दस कुंवारियों का दृष्टांत | Parable Of Ten Virgins Matthew 25

दस कुंवारियों का दृष्टांत | Parable Of Ten Virgins Matthew 25:1-13

दस कुंवारियों का दृष्टांत | Parable Of Ten Virgins Matthew 25

बाइबल में दस कुंवारियों कि तुलना स्वर्ग कि राज्य से कि गयी है। जैसा लिखा है; तब स्वर्ग का राज्य उन दस कुंवारियों के समान होगा जो मशालें ले कर दुल्हे से भेंट करने निकलती हैं। यहां दोस्तों कुंवारियों को दूल्हन तथा यीशु मसीह को दूल्हा कर के सिखाया गया है। तो चलिए हम आगे देखते हैं कि लिखा है; उनमें से पांच कुंवारियां समझदार थी तथा पांच कुंवारियां मुर्ख थी। 


उनमें से जो पांच मुर्ख कुंवारियां थी उन्होंने अपने साथ मशालें तो ली, परन्तु  मसालों के साथ तेल नहीं लिया। परन्तु जो पांच समझदार कुंवारियां थी उन्होंने मशालें भी ली, तथा उनके साथ तेल भी लिया, जिससे उनकी मशालें सदा जलती रहे। तो दोस्तों, यह दृष्टांत हमें सिखाता है कि जो पांच मुर्ख कुंवारियों ने मशालें ली पर तेल नहीं लिया। तो यहां दोस्तों, तेल का अभिप्राय पवित्र आत्मा से दिया गया है। यह वचन हमें समझाता है कि यह पांच कुंवारियां यीशु को मानती तो थी, उसका नाम अपने मुख पर भी रखती थीं। परन्तु उनमें पवित्र आत्मा कि सामर्थ्य कि कमी थी। 


परमेश्वर कि अभिषेक कि उनके पास कमी थी। वे कुंवारियां उस मनुष्य के समान थी, जो परमेश्वर का वचन सुनते हैं तथा मानते नहीं। हे प्रभु से प्रभु तो कहते हैं, परन्तु परमेश्वर का भय अपने भीतर रखतें नहीं। मतलब संसार में यीशु के नाम को प्रकट नहीं कर पाते। वह संसारी गतिविधियों में तथा चका चौंध में फंसे रहते हैं। जो साफ-साफ दर्शाता है कि उन में पवित्र आत्मा कि सामर्थ्य कि कमी है। वे यीशु को पाना तो चाहती थी, परन्तु उनमें पवित्र आत्मा कि स्थिरता नहीं थी। वे मुर्ख कुंवारियां परमेश्वर के दूसरे आगमन तक यीशु के लिए पवित्र आत्मा कि भरपूरी से भरी न रहने पायीं तथा वे यीशु के साथ स्वर्ग नहीं जा पायीं। 


आगे हम देखते हैं जो पांच समझदार कुंवारियां थी उनकी मशाल जलती रही। मतलब वे उन मनुष्य के समान थी, जो परमेश्वर के वचन में चलते हैं तथा उनके भीतर पवित्र आत्मा का सामर्थ्य वह अभिषेक भी रहता है। जिससे परमेश्वर के बताए गए मार्गों पर चलते हैं तथा उसका भय भी अपने भीतर रखतें हैं। यही है उन पांच समझदार कुंवारियों कि मसालों का तेल, जो दूल्हे के आने पर भी खत्म न हुआ तथा वे दूल्हे के आने पर उसके साथ स्वर्ग में जा  पायीं। 


जैसा आगे लिखा है कि आधी रात को धुम मची  कि दूल्हा आ गया। तो उन पांच मुर्ख कुंवारियों का तेल तो समाप्त हो गया, तो वे पांच समझदार कुंवारियों से तेल मांगने लगीं। परन्तु उन समझदार कुंवारियों ने उन्हें साफ-साफ इनकार कर दिया और बोला कि यह हमारे और तुम्हारे लिए दोनों के लिए पुरा न पड़ेगा, तो तुम मोल लेने वाले से मोल ले लो। उसी छन जब पांच मुर्ख कुंवारियां तेल मोल लेने जा रहीं थी उसी घड़ी दूल्हा आ पहुंचा और जो समाजदार कुंवारियां तैयार थीं अपनी जलती मशालें के साथ वे तो उनके साथ चली गयीं। 


परन्तु वे मुर्ख कुंवारियां जो तेल लेने गयीं वे पांचों कुंवारियां विवाह के घर में न जा पायीं। उसके पश्चात् हम देखते हैं दोस्तों, कि वे पांच मुर्ख कुंवारियां द्वार पर खड़ी बोलती रहीं कि हे स्वामी हे स्वामी हमें भी भितर आने दें। परन्तु भीतर से परमेश्वर कि आवाज आयी कि मैं सच सच कहता हूं कि मैं तुम्हें नहीं जानता। और आगे ऐसा लिखा है दोस्तों, कि उन्होंने कहा; इसलिए कहता हूं जागते रहो कि तुम में से कोई   उस घड़ी व उस दिन को नहीं जानते जिस घड़ी परमेश्वर आ पहुंचेगा। तो दोस्तों, इस पुरे दृष्टांत में हम ने जो सिखा है वह यह है कि हमें सदा पवित्र आत्मा कि अगवायी में हो कर चलना चाहिए। सदा परमेश्वर के बताए हुए मार्गों पर तथा पवित्र आत्मा के सामर्थ्य कि भरपुरी में स्थितर रहना चाहिए। तभी हम परमेश्वर के दूसरे आगमन में उसके साथ स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर पाएंगे। 


यदि आप भी उन पांच मुर्ख कुंवारियों कि तरह यही सोच कर अपराधों या गुनाहों में पड़े रहेंगे कि अभी तो परमेश्वर के आने में देर है तो आप भी परमेश्वर के स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न कर पाएंगे। और प्रभु आपको अनंत जीवन का अधिकारी नहीं कर पाएगा। तो दोस्तों, हमें सदा उन पांच समझदार कुंवारियों कि तरह हमेशा अपनी मसालों के साथ तेल भी सदा रखना है। मतलब अपनी आत्मा में पवित्र आत्मा कि भरपूरी को पहला स्थान देना है। तथा सदा परमेश्वर के अभिषेक से उसके पवित्र तेल से सदा भरे रहना है। 


कि जब प्रभ हमें लेने आयें तो हम में पवित्र आत्मा के फलों को देख कर हमें पहचान कर अपने साथ स्वर्ग राज्य में ले जा सके। वे पांच समझदार कुंवारियां दूल्हे के साथ विवाह के घर में पहुंच पाई। यहां विवाह के घर का तात्पर्य स्वर्ग के राज्य से है दोस्तों। इसी प्रकार हमारी हृदय रूपी मशालें हमारी पवित्र आत्मा के तेल से, सामर्थ्य से और उसके अभिषेक से सदा भरी रहनी चाहिए। क्योंकि कोई नहीं जानता कि हमारा परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह किस घड़ी हमें बादलों पर लेने आ पहुंचे। 


जब वह हमें लेने आएंगे तो वह हम में पवित्र आत्मा के फलों को ही देख कर हमें पहचानेंगे

पवित्र आत्मा के फल 

( आत्मा के फल गलातिया 5:22 - प्रेम, आनंद, शान्ति, धीरज, दया,भलाई और विश्वास है ) इसलिए हमें सदा अपने भीतर पवित्र आत्मा के फलों को स्थिर रखना है। जिससे हम अपने दूल्हे के साथ विवाह के घर में पहुंच सकें। उसके लिए हमें पवित्र आत्मा के फलों का सिंगार कर सुन्दर दूल्हन कि तरह सदा तैयार रहना है। 


परमेश्वर आपको आशीष दे।


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