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शद्रक मेशक अबेदनगो आग के भट्टे में अद्धभुत बचाव की कहानी | Book of Daniel 3:1-30

शद्रक मेशक अबेदनगो आग के भट्टे में अद्धभुत बचाव की कहानी | Book of Daniel 3:1-30

बाइबिल की सच्ची घटना! जो हमें डेनियल नबी की पुस्तक में देखने को मिलता है। लगभग 600 ईसा पूर्व बेबीलोन के राजा ने बहुत से यहूदियों को बंदी बनाकर अपने राज्य में ले आया। जिम डेनियल और उसके तीन मित्र शद्रक, मेशक और अबेदनगो भी थे। एक समय ऐसा हुआ कि राजा नबुकदनेस्सर ने सोने की एक मूर्ति बनवाई जो 60 हाथ ऊंची तथा 6 हाथ चौड़ी थी। उसने उसे बेबीलोन की प्रांत के तूरा नमक मैदान में खड़ा करवाया तब राजा ने अपने सभी अधिपतियों हकीमी गवर्नरों जाजो खजांचियों न्यायियों शास्त्रों आदि प्रांत प्रांत के सब अधिकारियों को बुलावा भेजी कि वह उसे मुहूर्त की प्रतिष्ठा में आए जो उसने खड़ी करवाई थी। तब यह सारे लोग राजा की आज्ञा के अनुसार इकट्ठे हुए और उसे मुरर्त के सामने खड़े हुए। तब डिंडोरियों ने ऊंचे शब्द से पुकार कर कहा कि है देश देश के और जाति-जाति के सब लोगों तुमको यह आज्ञा सुनाई जाती है कि जिस समय तुम नरसिंहगे बांसुरी वीणा सारंगी सीतार शहनाई की आवाजों को सुनो तो तुम गिरकर खड़ी कराई हुई सोने की मूर्ति को दंडवत करना और जो कोई ऐसा ना करें वह आग के धधकते हुए भठे में डाल दिया जाएगा।


तो उस समय जैसे ही बांसुरी नर्सिंग और सारंगी का शब्द सुनाई दिया तो जितने लोग वहां पर एकत्रित थे वे सभी लोग सोने की मूरत के सामने झुक गए। लेकिन डेनियल के मित्र शद्रक, मेशक अबेदनगो जो कि यहूदी पुरुष थे उस मूर्ति के सामने नहीं झुके। तब उस समय कजति पुरुष राजा के पास आए और कपट से उन तीनों की चुगली करने लगा। वह राजा से कहने लगे कि तूने तो यह आज्ञा दी थी कि जो मनुष्य सब प्रकार के बाजों का शब्द सुने तो वह गिरकर सोने की मूरत को दंडवत करें परंतु उन तीनों पुरुषों ने तेरी इस आज्ञा की कुछ भी चिंता नहीं की। तब नबुकदनेस्सर ने क्रोध और जलजलाहट में आकर यह आज्ञा दी कि इन तीनों पुरुषों को राजा के सामने हाजिर किया जाए। जब वे राजा के सामने आए तब राजा ने उनसे पूछा कि तुमने मेरी खड़ी कराई गई सोने की मूरत को दण्डवत क्यों नहीं किया?


यदि तुमसे कोई भूल हुई हो तो अभी सारे बाजों का शब्द सुनो और गिरकर मेरी बनाई हुई मूरत को दंडवत करो तभी तुम बच पाओगे अन्यथा तुम्हें भड़कते हुए भट्टे के बीच में डाल दिया जाएगा। फिर ऐसा कौन देवता है जो तुमको मेरे हाथ से छुड़ा सके. तब उन तीनों पुरुषों ने राजा से कहा कि हमारा परमेश्वर जिसकी हम उपासना करते हैं वहां हमें उस आग के भट्टे से बचाने की शक्ति रखता है। चाहे कुछ भी हो जाए ना तो हम तेरे देवता की उपासना करेंगे और ना ही तेरी खड़ी कराई हुई मूरत के सामने दंडवत करेंगे। यह सुनते ही राजा झुंझला उठा और उसने उन तीनों को उस आग के भट्टे में डालने की आज्ञा दी और यह भी कहा कि उसे भट्टे की आग को 7 गुना बढ़ा दिया जाए। तब राजा के बलवान पुरुषों ने उन तीनों को उनके मोजों,अंगरखों,बागों और अन्य वस्रों सहित बांधकर उसे धड़कते हुए भट्टे में डाल दिया।


वहां भट्ट बहुत ही धधकया गया था इस कारण जिन बलवान लोगों ने उन तीनों को आज की भट्टी में डाला था वही उसे भट्टे की आग से झुलस्कर मर गए। तब हम लोग देखते हैं कि राजा बहुत ही आश्चर्यचकित हुआ और घबराकर उठ खड़ा हुआ और अपने मंत्रियों से पूछा कि क्या हमने उस आग के बीच तीन पुरुष बंधे हुए नहीं डलवाए, उन्होंने राजा से कहा हां राजा यह तो सच बात है। फिर राजा ने उनसे कहा लेकिन अब मैं देखता हूं कि चार पुरुष आग के बीच खुले हुए टहल रहे हैं। और चौथे पुरुष का स्वरूप ईश्वरीय पुत्र सा है। तब राजा डरते हुए भट्टे के द्वारा के पास गया और उन तीनों से कहा हे परम प्रधान परमेश्वर के दसों यहां निकाल कर आओ यह सुनकर वह तीनों बाहर निकल आए और तब जितने लोग वहां इकट्ठे थे वे सब भी यह देखकर अचंभित हुए कि जिन राशियों से उनको बांधा गया था उसको छोड़ उन तीनों का कुछ भी ना जला।


तब राजा कहने लगा कि धन्य है इनका परमेश्वर जिसे अपना दूत भेज कर अपने इन दसों को बचाया। उसके बाद राजा ने आज्ञा दी कि देश देश और जाति-जाति के लोगों में शद्रक ,मेशक और अबेदनगो की परमेश्वर की कुछ भी निंदा ना की जाए ,जो कोई ऐसा करेगा वह टुकड़े-टुकड़े किया जाएगा और उसका घर घूरा बनाया जाएगा। तब राजा ने उन तीनों का पद अपने प्रांत में ऊंचा किया और उनकी प्रतिष्ठा की।


हम यहां पर कुछ बातों को सिखते हैं- सबसे पहले हम देखते हैं कि शद्रक, मेशक अबेदनगो परमेश्वर को छोड़ और किसी देवता की उपासना नहीं की और ना ही किसी मूरत के सामने दंडवत किया। हमें भी अपने सच्चे परमेश्वर के ऊपर विश्वास रखकर केवल उसी के सामने दंडवत करना है। चाहे परिणाम जो भी हो, हमें अपने परमेश्वर को नहीं छोड़ता है और ना ही उसका स्थान किसी और को देना है। दूसरी बात हम यहां पर यह सीखते हैं की हमें अपने परमेश्वर पर पूरा भरोसा होना चाहिए जैसा उन तीनों का था। उनका विश्वास था कि हमारा परमेश्वर हमे तड़पते हुए आग की भट्टे से बचने की सामर्थ रखता है। वैसे ही हमें भी यह विश्वास होना चाहिए कि हमारा परमेश्वर हमें हर विपत्ति और मुसीबत से बचाने में सक्षम है। वह हमारी सहायता के लिए स्वर्ग से उत्तर आता है और हमें बचाता है। तीसरी बात हम यहां पर यह सीखते हैं कि न सिर्फ परमेश्वर हमें बचाता है लेकिन हमारे विश्वास के कारण लोगों के बीच में उसकी महिमा होती है। जैसे राजा ने जान लिया कि इन तीनों का परमेश्वर ही सच्चा परमेश्वर है। वैसे ही परमेश्वर हमारे द्वारा अपने महिमा को दिखाकर लोगों के सामने यह प्रकट करता है कि वही सच्चा और एकमात्र परमेश्वर है।


परमेश्वर पर भरोसा रखें  | Trusting God In Difficult Times



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