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क्या यीशु सिर्फ एक साधारण शिशु था ? यीशु मसीह के जन्म की कहानी

 क्या यीशु सिर्फ एक साधारण शिशु था ?

क्या यीशु सिर्फ एक साधारण शिशु था ? यीशु मसीह की कहानी
यीशु ने एक मकसद से जन्म लिया था। वह राजा था लेकिन फिर भी उसने सीधा-सादा जीवन जीया। और वह उस रिश्ते को दोबारा मजबूत करने के लिए आया जो पाप की वजह से टुट गया था। यीशु के कामों की वजह से, हम हमेशा परमेश्वर के साथ रह सकते हैं।

यीशु का जन्म :
मरियम की यूसुफ के साथ सगाई हुई थी। विवाह होने से पहले ही पता चला कि वह पवित्र आत्मा की शक्ति से गर्भवती है।

जिब्राईल नामक स्वर्गदूत उसके पास आया और बोला , ' डरो मत, तू एक पुत्र को जन्म देगी और तू उसका नाम यीशु रखेगी। उसके राज्य का अंत कभी नहीं होगा।
मरियम ने पुछा , ' यह कैसे हो सकता है ? मैं तो अभी कुवांरी हूँ!' स्वर्गदूत ने उससे कहा , ' तेरे पास पवित्र आत्मा आयेगा।वह बालक परमेश्वर का पुत्र कहलायेगा।'

यूसुफ दाउद के नगर बैतलहम को जाना था। उसने मरियम को भी अपने साथ ले लिया। ऐसा हुआ कि अभी जब वे वहीं थे, मरियम का बच्चा जनने का समय आ गया। और उसने उस पुत्र को जन्म दिया । क्योंकि वहाँ सराय  के भीतर उन लोगों के लिए कोई स्थान नहीं मिल पाया था इसलिए उसने उसे कपडों मे लपेट कर चरनी मे लिटा दिया।

तभी वहाँ उस क्षेत्र मे बाहर खेतों मे कुछ गडरिये थे जो रात के समय अपने भेडों की रखवाली कर रहे थे। उसी समय प्रभु का एक स्वर्गदूत उनके सामने प्रकट हुआ , और कहा, ' मैं तुम्हारे लिए अच्छा समाचार लाया हूँ। जिससे सभी लोगों को महान आनंद होगा। आज दाउद के नगर मे तुम्हारे उधारकर्ता प्रभु मसीह का जन्म हुआ है।'

कुछ विद्वान आये और पूछा , 'यहूदियों का नवजात राजा कहाँ है? हमने उसके सितारे को आकाश मे देखा है। हम उसकी आराधना करने आये हैं। फिर वे वहाँ से चल दिए । वह सितारा जिसे आकाश में देखा था उनके आगे - आगे जा रहा था। वे घर के भीतर गए और बालक के दर्शन किए। उन्होंने उसकी उपासना की।

मंदिर मे नन्हा यीशु :
हर वर्ष यीशु के माता - पिता पर्व मनाने के लिए यरूशलेम जाय करते थे। जब वह बाहर साल का हुआ तो हर बार की तरह वे पर्व पर गये। जब वे घर लौट रहे थे तो यीशु वहीं पीछे रह गया। और जब वह उन्हें नहीं मिला तो उसे ढूंढते-ढूंढते वे पीछे लौट आए। बाद मे वह उपदेशको के बीच बैठा , उन्हें सुनता और उनसे प्रशन पूछता मंदिर मे उन्हें मिला। उसकि माता ने उससे पूछा , ' बेटे , तुमने हमारे साथ ऐसा कयों किया? तेरे पिता और मैं तुझे ढूंढते हुए बुरी तरह व्याकुल थे।'

तब यीशु ने उनसे कहा, ' आप मुझे क्यों ढूंढ रहे थे? क्या तुम नहीं जानते कि मुझे मेरे पिता के घर मे ही होना चाहिए?' किन्तु यीशु ने उन्हें जो उतर दिया था , वे उसे समझ नहीं पाये।फिर वह उनके साथ नासरत लौट आया और उनकी आज्ञा का पालन करता रहा। यीशु बुध्दि मे, डील-डोल मे और परमेश्वर तथा मनुष्यों के प्रेम मे बढऩे लगा।

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