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बाइबल के 10 अनमोल वचन जरूर पढे़

बाइबल के 10 अनमोल वचन जरूर पढे़

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बाइबल वचन

बाइबल के 10 अनमोल वचन जिन्हें आप अपने जीवन में सामिल कर सकतें है। परमेश्वर ने अपने इन वचनों के द्वारा हमें छोटी - छोटी बातों को समझाया है...


तो पहला वचन है (योहन्ना 15 अध्याय वचन 7)
" यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा ।" परमेश्वर ने हमसे कहा है यदि तुम मेरे वचन में, मेरी बातों में और मुझ में बने रहोगे तो तुम जो चाहोगे परमेश्वर कि इच्छा के अनुसार वह तुम्हें मिल जाएगा।


दूसरा वचन है ( मत्ती 7 अध्याय वचन 8 ) 
" क्योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।" परमेश्वर ने हमें कहा है हमारा यह उदेश्य इस वचन को लेकर यह नहीं होना चाहिए की हमें पैसा मांगता है, हमें गाड़ी मांगता है , सौहरत मांगता है यह सब वस्तुएं हमें और आप को नहीं मांगता है। परमेश्वर यहां पर इस वचन के द्वारा क्या कहना चाहतें है यह समझने कि कोशिश करिए ।


परमेश्वर कहतें हैं क्योंकि जो कोई मांगता है उसे मिलता है, जो परमेश्वर से ज्ञान, बुद्धि, समझ और ताकत अपने बिमारी के लिए, अपने परिवार के लिए, जो परमेश्वर से मागंता है हमारे परिवार को सलामत रख प्रभु और मुझे ज्ञान दे की मैं अपने कामों को और आपके कामों को पिता कर सकूं।


जब परमेश्वर से समझ मागेंगे , बुद्धि मागेंगे तो हमारा जो काम है संसारिक वह तो हम आसानी से कर लेगें। तो हमें जो वस्तुएं मिलना चाहिए जो जरूरत है खाने के लिए वह उसमें मिल जाएगा। इसलिए परमेश्वर से मागंना है ज्ञान, बुद्धि और समझ। इसिलिए परमेश्वर ने कहा है क्योंकि जो कोई मागंता है उसे मिलता है और जो ढूंढ़ता है वह पाता है और जो परमेश्वर के दोवार को खटखटाता है तो परमेश्वर उहके लिए मार्ग खोलेगा।


तीसरा वचन है ( यिर्मयाह 33 अध्याय वचन 3 )
"मुझ से प्रार्थना कर और मैं तेरी सुन कर तुझे बढ़ी-बड़ी और कठिन बातें बताऊंगा जिन्हें तू अभी नहीं समझता।"


परमेश्वर ने यहां पर कहा है कि मुझ से प्रार्थना कर, परमेश्वर यहां पर खुद कह रहे हैं की तु मुझसे प्रार्थना कर और मैं तेरी सुन कर तुझे बडी़ - बडी़ और कठिन बातें बताउंगा जिन्हें तू अभी नहीं समझता है। लेकिन कब परमेश्वर ने कहा है जब हम परमेश्वर में बने रहेगें , उससे प्रार्थना और विनती करते रहेंगे।


चौथा वचन है ( यिर्मयाह 29 अध्याय 13 वचन )
"तुम मुझे ढूंढ़ोगे और पाओगे भी; क्योंकि तुम अपने सम्पूर्ण मन से मेरे पास आओगे।"


परमेश्वर ने इस वचन के द्वारा बताया है की तुम लोग मुझे ढूंढ़ोगे और पाओगे भी और तुम अपने सम्पूर्ण मन से याद करोगे और मेरे पास आओगे। परमेश्वर हमें जानता है की हमें परमेश्वर की जरूरत है और उससे प्रार्थना और विनती करना।


पांचवा वचन है ( यशयाह  65 अध्याय 24 )
"उनके पुकारने से पहिले ही मैं उन को उत्तर दूंगा, और उनके मांगते ही मैं उनकी सुन लूंगा।"


यहां पर वचन कहता है जैसे हम परमेश्वर से प्रार्थना कर के कुछ मागंते हैं तो परमेश्वर हमारी प्रार्थना सुनता है और उत्तर भी देता है।


छःठा वचन है ( 1 यूहन्ना-अध्याय 5 वचन 14 )
"और हमें उसके साम्हने जो हियाव होता है, वह यह है; कि यदि हम उस की इच्छा के अनुसार कुछ मांगते हैं, तो हमारी सुनता है।"


परमेश्वर ने यहाँ पर कहा है कि यदि हम उसके अनुसार कुछ मागंते है तो परमेश्वर हमारी सुनता है। इसिलिए जब भी हमें प्रार्थना करना है तो प्रार्थना में कहना है कि " पिता मैं यह चाहता हूं की अगर आपकी इच्छा है तो प्रभु मेरे जीवन में करिए वरना कोई अवश्यकता नहीं हैं पिता , मैं आपसे यही विनती करता हूं कि आपकी छाया मुझ पर बनी रहे और मैं आपसे विनती और प्रार्थना कर सकु।" तो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार होगा और कार्य जरूर होगा।


सातवीं वचन है ( मरकुस 11 अध्याय वचन 24 ) "इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि जो कुछ तुम प्रार्थना करके मांगो तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और तुम्हारे लिये हो जाएगा।"


परमेश्वर ने यहां पर कहा है इस वचन पर आप इतना आत्मविश्वास मत हो जाइए कि एक बार मैने प्रार्थना कर लिया कि मैं पिता से प्रार्थना किया हूं , और मुझे यह चिज चाहिए और यह वस्त्र चाहिए। मैं प्रतीति कर लिया हूं , मैं विश्वास कर लिया हूं कि मुझे अब मिल जाऐगा ।


आप का यह आत्मविश्वास बहुत ही जल्द खत्म हो जाऐगी यह बहुत दिन नहीं चलनेवाली है आपका यह आत्मविश्वास टुट सकता है, क्योंकि परमेश्वर ने यहां पर कहा है - "मांगो तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया" इसका मतलब यह है की हो जाएगा, इसका मतलब यह नहीं की आप आज प्रार्थना किया ।


परमेश्वर से कहे पिता मैं चाहता हूं मेरे जीवन में हो विश्वास करता हूं कि मेरे जीवन में कार्य हो आप कितने दिन 10 दिन 15 दिन 20 दिन प्रार्थना करेंगे। लेकिन अगर आपका काम नहीं बना तो आप निराश हो जाऐंगे। इसीलिए परमेश्वर ने कहा है- "मांगो तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया" और वह आपके लिए हो जाऐगा आपको हताश और परेशान नहीं होना है।


अठवा वचन है ( 1 यूहन्ना 3 अध्याय वचन 22 )
" और जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है; क्योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं; और जो उसे भाता है वही करते हैं।"


परमेश्वर ने इस वचन में कहा है जो उसे भाता है वही अगर हम करते हैं और उसकी आज्ञाओं को मानतें है तो परमेश्वर कहतें हैं, जो कुछ तुम मागंते हो तो तुम्हें मिलेगा प्रार्थना के द्वारा ।


नवा वचन है ( मत्ती 18 अध्याय वचन 19 )
"फिर मैं तुम से कहता हूं, यदि तुम में से दो जन पृथ्वी पर किसी बात के लिये जिसे वे मांगें, एक मन के हों, तो वह मेरे पिता की ओर से स्वर्ग में है उन के लिये हो जाएगी।"


यहां पर परमेश्वर कहतें हैं यदि दो व्यक्ति पृथ्वी पर किसी बात के लिए प्रार्थना करे , किसी भी चिज के लिए प्रार्थना करे और एक मन के हो तो पिता जहां पर है हमारा उसके पास हर एक वस्तु है जो वह देना चाहता है, इसलिए कहा है की उनके लिए हो जाएगा।


दसवां वचन है  ( गलातियों 5 अध्याय वचन 22 )
"पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज।"
परमेश्वर ने यहां पर कहा है आत्मा का फल जो है प्रेम है आनन्द है, मेल है, और धीरज है। परमेश्वर ने हमें यह सिखाया है की जिसके पास आत्मा है उसके पास अनेक प्रकार का आनंद है मेल - मिलाप है , धिरज है संयम वह रख सकता है और उसका फल प्रेम का फल होना चाहिए।


जैसे कि वचन 23 में पढ़ते हैं - "और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं।" परमेश्वर इस वचन में कहतें हैं जिसके अन्दर "कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं" तो परमेश्वर उसके चिन्ह में हर एक कार्य करेगा, जो वह परमेश्वर कि इच्छा के अनुसार मागंता है।


अगर हम आगे 25 वचन को पढे़ तो ऐसा लिखता है - "यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी।"परमेश्वर यहां पर कहतें हैं की यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं तो आत्मा के अनुसार हमें चलना भी चाहिए।


इन वचनों के द्वारा परमेश्वर आपको आशीष दे।



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