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यिर्मयाह 29:11 | jeremiah 29:11 meaning

यिर्मयाह 29:11 | Jeremiah 29:11 Meaning

यिर्मयाह 29:11 | jeremiah 29:11 meaning

क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएं मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानी की नहीं, वरन कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा। 

यिर्मयाह 29:11


बाइबल दर्शाती है प्रभु कहते हैं कि हमें कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि हम सब के बारे में प्रभु के पास में उनका योजना है। हम सब के लिए वे कहते हैं कि हम कभी भी परेशान होते हैं, तो हम क्या करते हैं? ईश्वर को भुल जाते हैं और हम अपनी ही सबकुछ करने लग जाते हैं और हम परेशान होकर, हताश होकर हम लोग बैठ जाते हैं। 


लेकिन ईश्वर क्या कहते हैं कि चिंता मत करो। मेरे पास में तुम्हरे लिए एक ठोस योजना है हर किसी के लिए। अब हम में कैसे पता चलेगा कि प्रभु के योजना में आते हैं कि नहीं ? इसलिए ऐसे पांच नियम को देखेंगे जिससे प्रभु कि योजना में हम अपने आप को सामिल पायें। 


सबसे पहला योजना है कि हम 'प्रार्थना' में रहें। हमें प्रार्थना में रहना चाहिए, अगर हम प्रार्थना में रहते हैं तो क्या जहोता है कि हमारे प्रभु के साथ में रोज विचार-विमर्श होगा। तो प्रभु को हम जो मांगते हैं वह प्रभु को पता चलेगा। तब जा के प्रभु हमारे समानों को पुरा करेंगे।


दुसरा चिज़ है कि बाइबल के 'वचनों' को सुनें। हर रविवार आप चर्च में जाएं पादरी जो बोलते हैं उन्हें सुनिए और सिर्फ सुनने से नहीं होगा, उसपर अमल करना पड़ेगा। पादरी की बात पर हमें अमल करना पड़ेगा और जैसे हम अमल करते हैं, तो क्या है कि परमेश्वर जो पादरी जरीए से हम सुनते हैं। और सुन कर वचन को अपने जीवन में अमल करते हैं, तो अमल किया हुआ चिज़ जो है हम परमेश्वर के वचन को मान रहे हैं। इसलिए परमेश्वर हमें उस योजना में हमें सामिल करते हैं।


तीसरा है जो 'आज्ञा' प्रभु ने हमें दिया है उन्हें हमें दिल से पालन करना चाहिए। जो आज्ञा प्रभु हमें देते हैं उस आज्ञा को हमें दिल से और सच्चे मन से पालन करना चाहिए। तब जा के हमें प्रभु कि योजना में सामील का मौका मिलेगा।


और चौथा है एक धर्मी समुदाय कि तलाश करें। हमें क्या करना पड़ेगा कि नाकारात्मक विचार वाले लोगों के पास नहीं जाना है उन्हें, जो नाकारात्मक लोग होते हैं उनके बीच में नहीं जाना। लेकिन एक अच्छे धर्मी समुदाय जो हमें प्रभु के काम करने के लिए प्रोत्साहित करे कि हां, ऐसा करना चाहिए, वैसा करना चाहिए जो हमें सही मार्ग दिखा सकें और प्रभु के वचन सुनाएं ऐसे समुदाय में जा के हमनें उस समुदाय को अनुसरण करना चाहिए। उस समुदाय के साथ मिलकर प्रभु का काम करना चाहिए, तब हम प्रभु कि योजना में होते हैं।


और उसके बाद अन्तिम में आता है 'सत्य की मान' अर्थात सत्य का अनुसरण करना। हमेशा सच्च को साथ में लेकर चलना चाहिए। सच्च क्या है ? सच्च बाइबल है और बाइबल के जितने भी वचन हैं वह प्रभु के वचन हैं। तो उस वचन को साथ में लेकर हम चलते हैं, तो प्रभु कि योजना में हम लोग पुरी तरह से सामील होते हैं। 


अगर इन पांच बातो को हम लोगों ने कर लिया जैसे हमनें ऊपर पढ़ा प्रार्थना में बने रहें, बाइबल को पढ़ते रहें, प्रभु के जितने भी आज्ञाएं है उन पर चलते रहें, एक धर्मी  समुदाय में शामिल होइए और सच्च का साथ दे। अगर इन पांच बातों में आप सामील हैं तो आपके लिए प्रभु कि योजना है। आपके लिए प्रभु ने योजना बनाया हुआ है। तो आप सब इन पांच नियमों को पालन करें और प्रभु कि योजना में सामील हो जाएं। ताकि आपको प्रभु बहुत सारी आशीष दे और जीवन में सफल हो। 



प्रभु इस संदेश के द्वारा आपको आशीष दे।




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