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Bible Meaning Of 666 End Times |
666 का मतलब क्या है बाइबल में?
बाइबल में "666" एक ऐसा रहस्यमय अंक है जिसने सदियों से ईसाई विश्वासियों, विद्वानों और आम पाठकों के मन में जिज्ञासा और भय दोनों ही उत्पन्न किए हैं। यह अंक केवल एक संख्यात्मक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह अंत समय की भविष्यवाणियों से जुड़ा हुआ है और इसका संबंध मसीह-विरोधी (Antichrist) से बताया गया है। प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में यह अंक पहली बार सामने आता है और इसके साथ ही एक चेतावनी, एक रहस्य और एक गूढ़ पहचान भी जुड़ी हुई है।
आइए विस्तार से समझते हैं कि बाइबल में "666" का क्या महत्व है, इसका संदर्भ क्या है, और यह हमारे लिए क्या संदेश देता है।
1. 666 का बाइबलिक संदर्भ
"यह ज्ञान का विषय है; जिसके पास समझ हो, वह उस पशु की संख्या गिन ले, क्योंकि वह मनुष्य की संख्या है, और उसकी संख्या छह सौ छियासठ (666) है।" (प्रकाशितवाक्य 13:18)
यह वचन स्पष्ट करता है कि 666 एक "पशु" (beast) की संख्या है। यह पशु बाइबल में मसीह-विरोधी (Antichrist) के प्रतीक के रूप में वर्णित है। यह एक ऐसा व्यक्ति या प्रणाली है जो परमेश्वर का विरोध करती है, लोगों को धोखा देती है और उनकी आराधना को अपने लिए लेना चाहती है।
2. संख्या का प्रतीकात्मक अर्थ
यह महत्वपूर्ण है कि हम यह समझें कि बाइबल में संख्याओं का विशेष अर्थ होता है। उदाहरण के लिए:
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7 – पूर्णता और ईश्वर की संख्या मानी जाती है।
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6 – अपूर्णता या मनुष्य का प्रतीक है, क्योंकि मनुष्य छठे दिन बनाया गया था।
अब अगर 6 को तीन बार दोहराया जाए – 666 – तो यह चरम अपूर्णता, पाप की पूर्णता या परमेश्वर के विरुद्ध खड़े होने का प्रतीक हो जाता है। इसीलिए यह संख्या भय और सतर्कता का कारण बनती है। यह परमेश्वर की पूर्णता (7) के बिलकुल विपरीत एक झूठी, धोखेबाज व्यवस्था को दर्शाती है।
3. मसीह-विरोधी और 666
बाइबल बताती है कि अंत समय में एक ऐसा व्यक्ति (या तंत्र) प्रकट होगा जो मसीह की नकल करेगा और लोगों को धोखा देगा। यह मसीह-विरोधी होगा। यह पशु (beast) बहुत सारे चमत्कार करेगा, लोगों को लुभाएगा, और अंततः एक ऐसी व्यवस्था लागू करेगा जिसमें लोग खरीदने-बेचने के लिए उसकी छाप या अंक (666) को अपनाने को मजबूर होंगे।
"और वह सब छोटे-बड़े, धनवान-निर्धन, स्वतन्त्र-दास, सब के दाहिने हाथ या उनके माथे पर एक छाप कराता है। और उसके सिवाय कोई भी न तो कुछ खरीद सके, न बेच सके, जिस पर वह छाप अर्थात् उस पशु का नाम या उसके नाम की संख्या न हो।" (प्रकाशितवाक्य 13:16–17)
यह चेतावनी हमें बताती है कि यह अंक केवल एक संख्या नहीं बल्कि एक पहचान है – एक ऐसा चिन्ह जो उन लोगों को अलग करता है जिन्होंने मसीह-विरोधी की प्रणाली को स्वीकार किया है।
4. 666 – डरने का नहीं, समझने का विषय है
प्रकाशितवाक्य 13:18 में लिखा है, "यह ज्ञान का विषय है।" इसका अर्थ यह है कि हमें इस अंक को अंधविश्वास या केवल भय के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे आत्मिक दृष्टि से समझने की आवश्यकता है।
666 उस व्यवस्था का प्रतीक है जो परमेश्वर के विरोध में खड़ी होती है – वह धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक ढांचा जो लोगों को सत्य से भटकाता है, मसीह की सच्ची पहचान को छुपाता है, और एक नकली मसीह को उनके सामने प्रस्तुत करता है।
5. इतिहास में 666 की व्याख्या
कुछ विद्वान मानते हैं कि यह अंक रोम के सम्राट नीरो (Nero Caesar) को दर्शाता है, क्योंकि हिब्रू अक्षर-गणना में उसके नाम का योग 666 आता है। जबकि कुछ अन्य विद्वान इसे एक भविष्यवाणी मानते हैं जो अंत समय में किसी आनेवाले शासक या प्रणाली को दर्शाती है।
लेकिन अंततः इसका सार यही है – यह संख्या एक ऐसे व्यक्ति या व्यवस्था को इंगित करती है जो मसीह की जगह खुद को प्रस्तुत करता है और परमेश्वर की आराधना को अपने लिए लेना चाहता है।
6. आज के समय में 666 का क्या अर्थ हो सकता है?
हमारे समय में यह संख्या एक चेतावनी बन कर खड़ी होती है – एक जागरूक करने वाली आवाज जो हमें सतर्क करती है कि हम किसका अनुसरण कर रहे हैं। क्या हम मसीह की ओर देख रहे हैं या किसी नकली व्यवस्था के पीछे जा रहे हैं?
यह अंक हमें बुलाता है कि हम आत्मिक रूप से चौकस रहें, बाइबल का अध्ययन करें, सच्चे मसीह को जानें और उस पथ पर चलें जो हमें अनन्त जीवन की ओर ले जाता है।
7. उद्धार का मार्ग – 777 का अनुसरण करें
अगर 666 धोखे का प्रतीक है, तो 777 – पूर्णता और परमेश्वर की महिमा का प्रतीक है। मसीह यीशु ही वह मार्ग है जो हमें 666 के प्रभाव से बचाता है। वह ही सत्य है, जीवन है और उद्धार का स्रोत है। जो कोई भी उस पर विश्वास करता है, उसे 666 की पहचान अपनाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
"मैं मार्ग और सत्य और जीवन हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता।" (यूहन्ना 14:6)
🔚 निष्कर्ष:
666 केवल एक डरावनी संख्या नहीं है – यह एक आत्मिक वास्तविकता की चेतावनी है। यह हमें सजग करता है कि हम उस समय की ओर बढ़ रहे हैं जहाँ धोखा, प्रलोभन और मसीह-विरोधी की शक्तियाँ बहुतायत से काम कर रही होंगी। परंतु यदि हम मसीह के साथ बने रहें, उसके वचन में दृढ़ रहें और पवित्र आत्मा से मार्गदर्शन लेते रहें – तो हमें किसी भी संख्या या चिन्ह से डरने की आवश्यकता नहीं है।
"जो जय पाएगा, मैं उसे जीवन के वृक्ष में से फल खाने को दूँगा जो परमेश्वर की स्वर्गलोक में है।" (प्रकाशितवाक्य 2:7)
प्रार्थना करें, जागरूक रहें, और मसीह की ओर दृढ़ता से देखें – वही हमारा उद्धार है!
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