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What is sin | पाप क्या है ?

पाप हमारी सबसे बड़ी समस्या है!


हम सबको पाप से छुटकारा चाहिए। पाप परमेश्वर की आज्ञा को न मानना है। पाप वह है कि जैसे हमें जीना चाहिए वैसे हम नहीं जीते। हमारे चारों तरप पाप है. हम झुठ बोलते हैं, स्वार्थी हैं, लालची हैं. परमेश्वर ने ऐसा नहीं बनाया था। परमेश्वर नहीं चाहता कि हम ऐसा जियें। 

What is sin | पाप क्या है ?

आदम और हव्वा पहले इंसान थे जिन्हे परमेश्वर ने बनाया। उन्होंने परमेश्वर की आज्ञा न माना। हम सब गलती करते जाते हैं। हममें से कोई भी पूरी रीती से परमेश्वर के पीछे नहीं चला। हम झूठ बोलने और दूसरों को चोट पहुंचाते हैं, फिर अपनी गलतियों को छुपाते हैं. 

परमेश्वर इतना सिद्ध और भला है कि वह हमारे पापों को नजरअंदाज नहीं कर सकता। पाप का दंड मिलता है। पाप का उचित परिणाम मृत्यु तथा परमेश्वर एंव अच्छाइयों से अलग हो जाना है। इसे नरक कहा जाता है। पाप हमारी सबसे बड़ी समस्या है। हमें किसी बचाने वाले की जरुरत है, क्यूंकि हम स्वयं को नहीं बचा सकते। 


अच्छा सन्देश यह है कि परमेश्वर विश्वासयोग और न्यायी है। यदि हम अपने पापों  मान लें तो वो हमारे पापों को क्षमा करते हैं। वह हमारे सारी गलतियों को माफ कर देते हैं। 1 योहन्ना 1-9 


यीशु हमें पाप से छुड़ाते हैं 


यीशु लोगों को पाप से छुड़ाने आए। बाइबल बताती है जब एक क्रोधित भीड़ यीशु के पास एक स्त्री को लेकर आई। वह पाप करती पकड़ी गई थी। वे उसे दण्ड देना चाहते थे और पत्थरवाह करना चाहते थे। भीड़ ने यीशु से पूछा, “आप क्या कहते है?"


यीशु झुक कर जमीन पर कुछ लिखने लगा जब कि वे सवाल करते जा रहे थे। अंत में वह उठकर कहने लगा, “जिसने कभी पाप न किया हो वो पहला पत्थर मारे।”


यीशु फिर झुक कर जमीन पर कुछ लिखने लगा। भीड़ में सबने महसूस किया कि वे पापी हैं, फिर वे एक एक करके शर्मिन्दा होकर वापस चले गए। सिर्फ यीशु और वह स्त्री बचे रह गये।

यीशु ने स्त्री से पूछा, “वे कहाँ गए ? क्या किसी ने तुम पर दोष न लगाया ?”

“किसी ने नहीं, श्रीमान ।” उसने जवाब दिया

"तो फिर मैं भी दोष नहीं लगाता” यीशु ने कहा । " जाओ और पाप मत करना ।” यूहन्ना 8


यीशु हमें पाप से बचाते हैं


यीशु ने कभी पाप नहीं किया, एकबार भी नहीं, उसने पवित्र जीवन जीया। लेकिन हम सब ने पाप किया है। हमे अपने पापों का दण्ड मिलना है। हम किसी भी रीति से अपने आपको नहीं बचा सकते। हम कभी सिद्ध नहीं हो सकते। हमें बचाया जाना और क्षमा किया जाना है।


यीशु ने कहा कि वो चरवाहा और हम उसकी भेड़ें हैं। भेड़ असहाय जानवर है। वे भटक जाते एवं संकट में पड़ जाते हैं। समस्या ये कि वे अपने आपको नहीं बचा सकते। उनका चरवाहा जो बुद्धिमान और मजबूत है, उन्हें बचाता है। परमेश्वर हमसे कहीं बुद्धिमान और मजबूत है। यीशु ने कहा “मैं अच्छा चरवाहा हूँ। मैं अपनी भेड़ों को जानता है और मेरी भेड़े मुझे अच्छा चरवाहा भेड़ो के लिए अपना प्राण देता है। " यूहन्ना 10


यीशु ने अपनी जान देकर हमें बचाने का वायदा किया। चरवाहे के समान उसने हमारे लिए अपनी जान दी। वह जानता था वह क्या कर रहा है। ये सब परमेश्वर की योजना का हिस्सा था। यीशु ने कहा "मेरा पिता मुझसे प्रेम करता है क्योंकि में अपना जीवन देता हूँ। कोई मुझसे वे नहीं लेता वरन मैं स्वंय देता हूँ।" यूहन्ना 10


यीशु अपना प्राण देते हैं


एक रात जब वह अपने साथियों के साथ वाटिका में प्रार्थना कर रहे थे तो यीशु गिरफतार हो जाते हैं। वह स्थानीय एवं धार्मिक अगुवों द्वारा गिरफतार किया गया जो उससे जलते थे । वे यीशु को बाँधकर स्थानीय अगुवे पिलातुस के पास ले गए। पिलातुस ने यीशु से कई सवाल किए और पाया कि वो निर्दोष है। लेकिन गुस्साई भीड़ चिल्लाने लगी कि यीशु को मार डाला जाय । पिलातुस डर गया और यीशु को उन्हें सौंप दिया।


सैनिकों ने यीशु को लिया। उसे अपना क्रूस उठाना पड़ा। वे उसे "खोपड़ी” नामक जगह में ले गए। वहाँ उन्होंने यीशु को क्रूस में ठोंक दिया। 


क्रूस पर कुछ घंटों बाद यीशु मर गया। उस समय भूडोल हुई और अंधेरा छा गया। सब भयभीत हो गए। बाद में उसके मित्र ये समझ पाए कि ये सब परमश्वर की योजना थी।


यीशु के मरने के बाद उसके मित्र उसके शरीर को कपड़े में लपेटकर कब्र में रख दिया। कब्र के द्वार पर एक बड़ा पत्थर रखा गया और पिलातूस ने आज्ञा दी कि रखवाले यहाँ रखवाली करें। यूहन्ना 19


यीशु जीवित है


वे सब जो यीशु के पीछे चलते थे काफी उदास हो गए। यीशु को मरे तीन दिन हो चुके थे। प्रातः काल यीशु की मित्र मरियम मग्दलीनी कब्र पर गई। उसने देखा कि बड़ा पत्थर लुड़का हुआ है। वह दौडकर आई और उसके अन्य साथियों को ये सब बताया। उन में से दो अत्यंत तेजी से दौड़कर वहाँ पहुँचे और कब्र के अन्दर गए। परन्तु यीशु का शरीर वहाँ नहीं था!


वे विचलित होकर सोचते हुए घर वापस आए कि क्या हुआ होगा। लेकिन मरियम कब्र के बाहर बैठ कर रोती रही। रोते हुए उसने कब्र में झांका। उसने वहाँ सफेद वस्त्र पहने दो स्वर्गदूत देखे वे वहाँ बैठे थे जहाँ यीशु का शरीर रखा गया था। उन्होंने उससे पूछा, “हे स्त्री, तू क्यों रोती है,” “वे मेरे प्रभु को ले गए,” उसने ऊत्तर दिया “मैं नहीं जानती कि उन्होंने उसे कहाँ रखा है।” फिर वह पीछे मुड़े और यीशु को खड़ा देखा।


यीशु जीवित था! योहन्ना 20


यीशु जीवित है


उसी दिन वह दूसरे चेलों के साथ बातें कर रहा था जो उन्होंने देखा था। उन्होंने दरवाजा बंद कर रखा था क्योंकि वे डरे हुए थे।


अचानक यीशु कमरे में आ गए। उसने कहा, “मेरी शांति तुम्हें मिले।” फिर उसने अपने हाथ और पसली के जख्म उन्हें दिखाए। वे यीशु को जीवित देखकर आनन्द से भर गए।


यीशु उनके साथियों के साथ 40 दिन रहे। इन दिनो में लगभग 500 लोग उनसे मिले। फिर यीशु को स्वर्ग पर उठा लिया गया। उठाए जाने से पहले यीशु ने वायदा किया कि परमेश्वर अपने पवित्र आत्मा को उनके मार्गदर्शन और उन्हें शांति देने भेजेंगे ।


यीशु ने एकबार उनके मित्रों से कहा था, “मैं पिता से विनती करुगाँ और वे तुम्हें एक और मित्र देंगे जो तुम्हारी सहायता करेगा और सदैव तुम्हारे साथ रहेगा वह मित्र सत्य का आत्मा है। वह तुम्हें सब बातें सिखागा । वह तुम्हें मेरी बातें याद दिलाएगा।”


उनका जीवन फिर पहले जैसा न रहा। उन्होंने सबसे यीशु से मुलाकात की बात कही। वे बाजारों एवं मंदिरों में गए, दूसरे शहर एवं देशों में ये सूसमाचार सुनायाः यीशु ने हमारे दण्ड को उठा लिया और अब हम परमेश्वर को जान सकते हैं और प्रेम कर सकते हैं। यह सर्वोत्तम उपहार है।

यूहन्ना 20:19-20, यूहन्ना 14:16-17


आप विश्वास कर सकते है और यीशु के पीछे चल सकते हैं


यीशु आपको निमंत्रण देते हैं उसके मित्र बनने और उसके पीछे चलने को । हाँ, जिस परमेश्वर ने सबकुछ बनाया और जो शासन करता है वह आपका मित्र बनना चाहता है। यीशु ने ये कहा, “परमेश्वर ने जगत से इतना प्रेम किया कि अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उसपर विश्वास करे वो नाश न हो परन्तु अनंत जीवन पाए।” परमेश्वर ने अपने पुत्र को संसार पर दोष लगाने नहीं भेजा। उसने अपने पुत्र को भेजा कि जगत उसके द्वारा अद्धार पाए । यूहन्ना


यीशु ने बहुत से कार्य किए और बहुत बातें सिखाई । मैंने आपको ये बातें बताई ताकि आप विश्वास करें:


यीशु एकमात्र जीवित परमेश्वर के पुत्र है। उसका सब पर अधिकार है: पृथ्वी, प्रकृति, जीवन और मृत्यु । उसने आपको बनाया है, वह आप से प्रेम करते हैं, वह आपकी चिन्ता करते है। हम सब ने परमेश्वर की आज्ञा तोड़ी और दण्ड के भागी हैं। परन्तु परमेश्वर आपसे प्यार करते हैं, इसलिए उन्होंने अपने पुत्र यीशु को भेजा क्रूस पर अपनी जान देकर आपका दण्ड अपने ऊपर ले ली। तीन दिन बाद परमेश्वर ने यीशु को जिलाया और फिर पवित्र आत्मा भेजा आपकी मदद करने और आपको उत्साहित करने को। एक ही तरीका है परमेश्वर के मित्र बनने और हमेशा उसके साथ रहने को । यीशु ने जो हमारे लिए किया उसपर विश्वास करना और पूरे जीवन से उसके पीछे चलना ।


" परन्तु जितनो ने उसे ग्रहण किया उस ने उनसे परमेश्वर के संतान होने का अधिकार दिया।” यूहन्ना 1:12


हम यीशु पर विश्वास करना और उसके पीछे चलना चाहते हैं... क्या आप?


क्या आप यीशु के मित्र और अनुयायी बनना चाहते हैं? यदि हाँ तो आप अभी इस प्रार्थना के जरिए उससे बात कर सकते हैं!


प्रिय यीशु,

मैं आपका मित्र और अनुयायी बनना चाहता हूँ। मैं जानता हूँ कि मैंने गलतियाँ और पाप किये है। मुझे क्षमा करें। मैं ऐसा जीवन और जीना नहीं चाहता। कृपया मुझे क्षमा करें और मुझे बदल दें। यीशु, मैं विश्वास करता हूँ कि आप परमेश्वर के पुत्र है। मैं विश्वास करता हूँ कि आप मेरे पापों के लिए मारे गए। परमेश्वर ने आपको मृत्यु में से जिलाया। कृपया मुझे अपनी पवित्र आत्मा से भरे ताकि मैं विश्वास के साथ आपके पीछे चलूँ। धन्यवाद प्रभु मुझे बचाने और अपना बनाने के लिये । आमीन।


यीशु के पीछे चलना


याद रखें, परमेश्वर ने आपको अपना पवित्र आत्मा दिया आपकी सहायता करने एवं आपको शांति देने हेतु। पवित्र आत्मा यीशु के पीछे चलने, उसके समान बनने और दूसरों को उसके बारे में बताने हेतु मदद करता है। पवित्र आत्मा यीशु की बातें हमें याद दिलाता है।


आप बाइबल पढ़कर यीशु के बारे में और ज्यादा जान सकते हैं। बाइबल कई लेखकों द्वारा पवित्र आत्मा की प्रेरणा से लिखी गई है। बाइबल में परमेश्वर स्वयं के विषय तथा उसके पीछे चलने के बारे में बतातें हैं ।


परमेश्वर आपको आशीष दे।


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